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गुवाहटी: कोलकाता टेस्ट में टीम मैनेजमेंट के कई फैसले सवालिया रहे, लेकिन जिस फैसले ने सबसे ज्यादा हैरान किया वो था वॉशिंगटन सुंदर को नंबर तीन पर बल्लेबाजी के लिए भेजना। अब तक एक ऑलराउंडर की हैसियत से टेस्ट मैचों में जगह पा रहे सुंदर का नाम बैटिंग ऑर्डर में जब तीन नंबर के विशेषज्ञ बल्लेबाज के तौर पर दिखा तो कई पूर्व क्रिकेटरों का माथा ठनक गया। चेतश्वर पुजारा की विदाई के बाद से टीम इंडिया टेस्ट में जिस नंबर 3 पोजिशन के लिए लंबे समय से समाधान खोजने में संघर्ष कर रही है, वहां किसी ऑलराउंडर को लाकर बिठा देना गौतम गंंभीर द्वारा हेड कोच के तौर पर टीम इंडिया के साथ छोटे से कार्यकाल में लिए जा रहे कई अटपटे फैसलों में से एक था।

सुंदर कोलकाता में क्रमश: 29 और 31 रन की पारी खेली। अभी तक डोमेस्टिक क्रिकेट में स्पिन बॉलर के तौर पर पहचान बनाने वाले सुंदर को पूरे मैच में डालने के लिए सिर्फ एक ओवर मिला और वो भी पहली पारी में। यानी बल्ले से वह कुछ कमाल नहीं कर सके और बॉलिंग उनसे करवाई नहीं गई। अब सवाल यह है कि क्या कोलकाता में आजमाए गए इस फॉर्म्युले का प्रयोग गंभीर गुवाहटी में भी जारी रखेंगे या फिर उनके पिटारे से इस बार कुछ नया फॉर्म्युला निकलेगा।

अपने ही जाल में फंसते गौतम

फिलहाल गंभीर अपने ही बुने जाल में फंसते नजर आ रहे हैं। यदि कप्तान शुभमन गिल नहीं खेल पाते हैं तो फिर टीम को एक स्पेशलिस्ट बैटर की जरूरत होगी। विकल्प में टीम के पास साई सुदर्शन, देवदत्त पडिक्कल और नीतीश कुमार रेड्डी हैं। साई और देवदत्त नंबर-3 पोजिशन पर बैटिंग करते हैं और उनमें से किसी भी एक को टीम में शामिल करने से गंभीर को सुंदर को नंबर-3 पर भेजने के अपने पिछले फैसले को पलटना पड़ा सकता है जो उन्होंने कोलकाता टेस्ट में लिया था। यदि सुंदर दोबारा निचले क्रम पर भेजे गए तो फिर सवाल उठेंगे कि सिर्फ एक मैच के लिए यह प्रयोग क्यों? यदि स्पेशलिस्ट बैटर का क्रम बदला गया तो भी सवाल उठेंगे कि गंभीर आखिर क्या हासिल करना चाहते हैं? ऐसी किसी परिस्थिति से बचने और अपने फैसले को सही साबित करने के लिए ये भी हो सकता है कि गंभीर गुवाहटी में नीतीश को मौका दे दें, जिनके निचले क्रम पर बैटिंग करने पर किसी को कोई दिक्कत नहीं होगी, साथ ही वह पेस अटैक में एक अन्य बोलर के शामिल किए जाने का हवाला भी दे सकते हैं।

पुजारा के बाद आजमाए गए 7 विकल्प

बड़ा सवाल यह है कि अगर सुंदर गुवाहटी टेस्ट में कुछ रन बनाने में कामयाब हो जाते हैं तो क्या भारत उन्हें लंबे समय के विकल्प के रूप में देख रहा है। एक नजर 2023 वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के बाद से टीम इंडिया के टेस्ट रेकॉर्ड पर डालते हैं, जोकि पुजारा के करियर का अंतिम टेस्ट था। उस फाइनल के बाद से पुजारा की जगह टीम इंडिया मैनेजमेंट ने छह अलग अलग प्लेयर्स को आजमाया और सुंदर उस तीन नंबर की पोजिशन पर खेलने वाले सातवें भारतीय थे। पुजारा के बाद आजमाए गए सात प्लेयर्स में गिल भी शामिल रहे जिन्होंने इस पोजिशन पर बल्लेबाजी करते हुए कुछ बहुत शानादार पारियां खेली थीं। इंग्लैंड के खिलाफ विशाखापट्टनम में 104, धर्मशाला में 110, बांग्लादेश के खिलाफ 119 और मुंबई में न्यूजीलैंड के खिलाफ 90 रन। शुरुआत में 17 मैचों में उनका औसत 38 का रहा, लेकिन पिछले 12 महीने में पांच मैचों में गिल सिर्फ 18 की औसत से 93 रन ही बना सके। फिर विराट कोहली के संन्यास के बाद इंग्लैंड दौरे पर उन्होंने चौथे क्रम पर जाना शुरू कर दिया।

बाकियों को नहीं मिले पर्याप्त मौके

इंग्लैंड के दौरे पर टीम इंडिया में वापसी कर रहे अनुभवी करुण नायर और युवा साई सुदर्शन को अलग-अलग मैचों में नंबर-3 पर आजमाया गया लेकिन दोनों ही प्रभाव छोड़ने में नाकाम रहे। हालांकि साई ने मैनचेस्टर में एक अर्धशतक जड़कर थोड़ी उम्मीद जगाई। इंग्लैंड से लौटने के बाद ऑस्ट्रेलिया-ए के खिलाफ चार पारियों में सुदर्शन ने तीन अच्छी पारी खेली। वेस्टइंडीज के खिलाफ जब उन्होंने 87 रन जड़ा तो टीम में उनकी जगह पक्की होती दिखी लेकिन फिर कोलकाता टेस्ट में उन्हें बाहर कर दिया गया। इससे पहले टीम मैनेजमेंट ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ देवदत्त पडिक्कल और केएल राहुल को भी नंबर-3 पर आजमाया था। ये सभी आंकड़े बताते हैं कि जिस पोजिशन पर एक स्थिर पारी खेलने वाले बैटर की तलाश है उस पोजिशन पर बल्लेबाजों को पर्याप्त मौके नहीं दिए जा रहे। लगातार विकल्पों को आजमाया जा रहा है जिससे स्थिरता नहीं आ रही।