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वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि रूस पर मौजूदा प्रतिबंध यूक्रेन में युद्ध को रोकने के लिए पर्याप्त नहीं हैं। उन्होंने यूरोपीय देशों से अपने उपायों को ज्यादा कड़ा करने का आग्रह किया है। ट्रंप का कहना है कि रूस के खिलाफ अमेरिका ज्यादा प्रतिबंध लगाने को तैयार है लेकिन पहले यूरोप को अपने प्रतिबंध कड़े करने होंगे। यूरोप के देश रूस से तेल खरीद जारी रखे हुए हैं, उनको यह रोकना होगा। ऐसा कहते हुए ट्रंप ने एक तरह से गेंद यूरोप के पाले में डाल दी है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या ट्रंप वाकई रूस पर प्रतिबंधों को सख्त करना चाहते हैं।

डोनाल्ड ट्रंप ने जनवरी में अमेरिका का राष्ट्रपति बनने के बाद से कई दफा रूसी प्रेसिडेंट व्लादिमीर पुतिन पर नाराजगी जताई है। यूक्रेन पर पुतिन के रुख से निराशा जताते हुए ट्रंप ने बार-बार ये कहा है कि आगे और कड़े कदम उठाए जा सकते हैं। हालांकि उन्होंने अभी तक नए प्रतिबंधों की घोषणा नहीं की है। उन्होंने सिर्फ संकेत दिया है कि बैंकों और तेल पर कड़ी कार्रवाई के साथ नए टैरिफ पर विचार किया जा रहा है।

दूसरे देशों की बात कर रहा अमेरिका

डोनाल्ड ट्रंप ने यूक्रेन युद्ध पर बात करते हुए नाटो सहयोगियों से रूसी तेल खरीदना बंद करने का आह्वान किया। साथ ही चीन पर 100 प्रतिशत तक टैरिफ लगाने का सुझाव दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर लिखा कि नाटो के देश अगर चीन पर 50% से 100% टैरिफ लगाएं तो यूक्रेन में युद्ध रुकने का रास्ता बन सकता है।

ट्रंप ने भारत पर रूसी तेल खरीद के लिए 50 प्रतिशत टैरिफ लगाया है। हालांकि उन्होंने चीन के खिलाफ ऐसा कोई कदम उठाने की घोषणा नहीं की है। वह नाटो देशों को ऐसा करने की सलाह दे रहे हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने रूस को भी सिर्फ अतिरिक्त प्रतिबंधों की धमकी दी है लेकिन उनके प्रशासन ने अभी तक इनको लागू नहीं किया है।

भारत के अलावा रूसी तेल के खरीदार

सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर के आंकड़ों से पता चलता है कि नाटो का सदस्य तुर्की, चीन और भारत के बाद रूसी तेल का तीसरा सबसे बड़ा खरीदार है। हंगरी और स्लोवाकिया भी रूस से ऊर्जा आयात करने वाले नाटो देशों में शामिल हैं। हालांकि इन देशों पर ट्रंप सिर्फ बयानबाजी तक सीमित हैं।इसलिए यह सवाल उठे हैं कि क्या वह वाकई इस मुद्दे पर सीरियस हैं।