ऐक्टर पंकज धीर (68), जिन्होंने टेलीविज़न के महाकाव्य ‘महाभारत’ (1988) में अन्याय झेलने वाले राजकुमार कर्ण की भूमिका निभाई थी, बुधवार को मुंबई में निधन हो गया। धीर ने बताया था कि कर्ण का किरदार निभाने के लिए डायलॉग बोलने को लेकर उन्हें घबराहट थी। तब उन्होंने नवभारत टाइम्स पढ़कर तैयारी की थी, ताकि वो किरदार के जरिए दर्शकों से कनेक्शन जोड़ सकें।
धीर कैंसर से पीड़ित थे। निर्माता और उनके दोस्त अशोक पंडित ने कहा, पिछले कुछ महीनों में वह कई बार अस्पताल में भर्ती हुए थे। एक इंटरव्यू में धीर ने बताया था कि उन्होंने बी.आर. चोपड़ा की इस सीरीज़ में अर्जुन का किरदार निभाने से इसलिए मना कर दिया था, क्योंकि उनसे मूंछें मुंडवाने को कहा गया था। छह महीने बाद उन्हें कर्ण बनने का ऑफर दिया गया। धीर का परिवारिक संबंध कसूर (लाहौर के पास एक कस्बा) से था, लेकिन धीर निर्माता-निर्देशक सी.एल. धीर के बेटे थे और मुंबई के बांद्रा इलाके में बड़े हुए।
कहा- हर दिन नवभारत टाइम्स पढ़ें
टीवी शो के संस्कृतनुमा संवादों से पंकज धीर को परफॉर्म्स को लेकर घबराहट होती थी। तब धीर ने शो के सह लेखक राही मासूम रज़ा से सलाह ली। रज़ा ने उन्हें कई बातें बताईं। उनमें से एक यह थी कि वह हर दिन नवभारत टाइम्स पढ़ें। धीर ने कर्ण की ऐसी यादगार भूमिका निभाई कि दर्शकों की हमदर्दी पूरी तरह उनके किरदार के साथ हो गई। यह भूमिका उन्हें वह सब दे गई, जिसकी हर अभिनेता को चाह होती है- शोहरत, प्यार और स्थायी करियर।
कर्ण की मौत पर दर्शकों ने बाल मुंडवा लिए थे
जब सीरियल में कर्ण की मृत्यु का दृश्य आया, तो बस्तर (तब मध्य प्रदेश का हिस्सा) में कई लोगों ने शोक में अपने बाल मुंडवा लिए। धीर ने याद करते हुए कहा था, ‘(तब के मुख्यमंत्री) अर्जुन सिंह के कहने पर मैं वहां गया और लोगों को यह कहकर दिलासा दिया कि मैं ज़िंदा हूं। यह ऐसा वाकया था, जिसे तभी यकीन किया जा सकता था जब आप अपनी आंखों से देखें।’



