इस्लामाबाद: पाकिस्तान और सऊदी अरब के बीच हुए पारस्परिक रक्षा समझौते ने पश्चिम से लेकर एशियाई रक्षा विश्लेषकों में हलचल मचा दी है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने बुधवार देर शाम रियाद में इस समझौते पर हस्ताक्षर किए। इस दौरान पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर भी मौजूद रहे, जिन्हें इसके पीछ का सूत्रधार माना जा रहा है। यह समझौता दोनों दीर्घकालिक सहयोगियों के बीच अब तक की सबसे मजबूत सुरक्षा प्रतिबद्धता को दिखाता है, जिसके अनुसार किसी भी देश पर हमला, दोनों देशों के खिलाफ आक्रमण माना जाएगा।
पाकिस्तान बनेगा खाड़ी देशों का रक्षक
समझौते को लेकर पाकिस्तानी रक्षा विश्लेषकों का कहना है कि यह खाड़ी के सुरक्षा मानचित्र को नया रूप देने वाला है। विदेश नीति विश्लेषक उजैर यूनुस ने द न्यूज से बातचीत में कहा कि इस समझौते के साथ पाकिस्तान आने वाले वर्षों में अरब प्रायद्वीप के सुरक्षा प्रदाता के रूप में स्थापित हो जाएगा। यूनुस ने कहा कि यह कदम निश्चित रू से दोहा पर हुए हालिया हमले से प्रेरित है। इजरायली हमने के खाड़ी देशों को अपनी सुरक्षा आवश्यकताओं पर नए सिरे से सोचने को मजबूर किया है।
अमेरिका पर अरब देशों का घटता भरोसा
पूर्व पाकिस्तानी राजदूत तौकीर हुसैन ने इस समझौते के साथ ही इसकी टाइमिंग को भी महत्वपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि दोहा शिखर सम्मेलन के बाद यह पाकिस्तान-सऊदी समझौता दिखाता है कि खाड़ी देश केवल खोखली बयानबाजी पर निर्भर नहीं है, बल्कि ठोस कार्रवाई की ओर भी इशारा कर रहे हैं। उन्होंने पाकिस्तान के साथ रक्षा समझौते को सऊदी का पहला कदम बताया और कहा कि इसके आगे भी विकास होंगे। इसमें चीन से संबंधों में मजबूती और ईरान से तनाव कम करना हो सकता है। हुसैन ने कहा कि यह साफ है कि अमेरिका की सुरक्षा गारंटी में अरबों का विश्वास पूरी तरह से कम हो गया है।
भारत और इजरायल के लिए बताया संदेश
दूसरे पाकिस्तानी एक्सपर्ट भी इसे बड़े बदलाव के रूप में देखते हैं। जावीद हुसैन 1997 से 2003 तक ईरान में पाकिस्तान के राजदूत रहे हैं। हुसैन ने समझौते के विशेष प्रावधान का उल्लेख किया जिसके अनुसार एक देश पर हमला दूसरे देश पर हमला माना जाएगा। उनका कहना है कि यह भारत या इजरायल जैसे देशों को एक स्पष्ट संदेश देगा और उन्हें पाकिस्तान या सऊदी अरब के खिलाफ कोई भी आक्रामक कदम उठाने की हिम्मत करने से रोकेगा।
अंतरराष्ट्रीय संबंध विशेषज्ञ हुमा बुकाई ने जियो टीवी पर कहा कि यह रक्षा समझौता क्षेत्रीय भू-राजनीति को नया रूप दे सकता है। उन्होंने तो यहां तक कहा कि यह दक्षिण एशिया और मध्य पूर्व के शक्ति समीकरण को प्रभावित करेगा।