इस्लामाबाद: काबुल पर हमला करने के 24 घंटे के भीतर ही पाकिस्तान की अक्ल ठिकाने आ गई। तालिबान के रक्षा मंत्रालय की सीधी धमकी के बाद पाकिस्तान लाइन पर आने लगा है। शुक्रवार को पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने अमीर खान मुत्तकी की भारत यात्रा पर टिप्पणी करने में बेहद सावधानी बरती। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने कहा कि इस्लामाबाद किसी भी देश के साथ संबंध बनाने के अफगानिस्तान के संप्रभु अधिकार का सम्मान करता है। हालांकि, उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ नहीं होना चाहिए।
पाकिस्तानी विदेश कार्यालय के प्रवक्ता शफकत अली खान ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा, "अफगानिस्तान एक संप्रभु, स्वतंत्र देश है और किसी अन्य देश के साथ उसके द्विपक्षीय संबंधों पर हमें कोई टिप्पणी नहीं करनी है।’ खान ने आगे कहा, ‘अपनी विदेश को आगे बढ़ाने के उनके संप्रभु अधिकार का सम्मान करते हुए अफगानिस्तान से हमारा अनुरोध यह रहा है कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल पाकिस्तान के खिलाफ नहीं होने देना चाहिए।’
भारत और तालिबान की दोस्ती से तिलमिलाहट
दरअसल भारत और तालिबान के बीच बढ़ते संबंधों को लेकर पाकिस्तान में घबराहट बढ़ती जा रही है। अफगानिस्तान के विदेश मंत्री अमीर खान मुत्तकी इसी सप्ताह गुरुवार को एक सप्ताह की भारत यात्रा पर नई दिल्ली पहुंचे हैं। यह अगस्त 2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से किसी शीर्ष तालिबान पदाधिकारी की पहली आधिकारिक भारत यात्रा है। शुक्रवार को मुत्तकी ने भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात की जिसमें भारत ने काबुल में अपने मिशन को पूर्ण दूतावास का दर्जा देने की घोषणा की
पाकिस्तान का काबुल पर हवाई हमला
तालिबान विदेश मंत्री की भारत यात्रा से पाकिस्तान इस कदर तिलमिलाया हुआ है कि उसने मुत्तकी के भारत पहुंचने के बाद उसी रात काबुल पर हवाई हमला बोल दिया। पाकिस्तानी सूत्रों का कहना है कि यह हमला पाकिस्तान के सबसे बड़े दुश्मन टीटीपी सरगना नूर वली महसूद को निशाना बनाकर किया गया था। इस हमले के बाद तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए पाकिस्तान को अंजाम भुगतने की धमकी दी। वहीं, भारत दौरे पर आए विदेश मंत्री मुत्तकी ने पाकिस्तान को सीधी चेतावनी दी और कहा कि वह अफगानों के धैर्य की परीक्षा न लें। मुत्तकी ने कहा कि अफगानिस्तान पर ताकत कभी काम नहीं आती और अगर पाकिस्तान को ये बात समझ में न आ रही हो तो उसे अमेरिका, रूस और नाटो से पूछ लेना चाहिए।