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भोपाल मध्य प्रदेश पुलिस में आरक्षक, उपनिरीक्षक सहित तृतीय श्रेणी के अन्य पदों पर भर्ती के लिए अलग से भर्ती बोर्ड बनेगा। इसका लाभ यह होगा कि भर्ती प्रक्रिया जल्दी पूरी हो सकेगी। अभी कर्मचारी चयन मंडल से भर्ती की जा रही, जिसमें पूरी प्रक्रिया में लगभग दो वर्ष लग रहे हैं।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने शनिवार को पुलिस मुख्यालय में बैठक के दौरान डीजीपी कैलाश मकवाणा को इसके लिए प्रस्ताव तैयार कर शासन को भेजने के लिए कहा है। कैबिनेट से स्वीकृति के बाद बोर्ड बनाया जाएगा। बैठक में मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि पिछड़ी जनजाति बैगा, सहरिया आदि के युवाओं को पुलिस में भर्ती की विशेष योजना बनाएं।

पुलिस बल की कमी दूर करने के लिए बोर्ड बनाने की बात

बता दें कि पुलिस मुख्यालय की चयन शाखा के अधिकारी लंबे समय से भर्ती बोर्ड बनाने का सुझाव सरकार को दे रहे थे, पर गृह विभाग ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। शनिवार को बैठक में कानून-व्यवस्था की समीक्षा के दौरान पुलिस बल की कमी दूर करने के लिए मुख्यमंत्री ने बोर्ड बनाने की बात कही।

दरअसल, कर्मचारी चयन मंडल के पास कई परीक्षाओं का दबाव होने के कारण पहले तो लगभग छह माह भर्ती प्रक्रिया में ही देरी हो जाती है। इसके बाद भर्ती प्रारंभ होने पर परीक्षा आयोजित करने में लगभग एक वर्ष लग रहे हैं। कारण, एक बार में पुलिस आरक्षकों के छह हजार या इससे अधिक पदों पर भर्ती हो रही है। पुलिस मुख्यालय ने प्रतिवर्ष भर्ती का निर्णय लिया है, क्योंकि अभी लगभग 20 हजार पद रिक्त हैं।

500 एसआई और 7,500 पुलिस आरक्षकों के पदों पर होनी है भर्ती

राज्य शासन ने पुलिस मुख्यालय को पुलिस आरक्षकों के 7,500 और उप निरीक्षकों के 500 पदों पर भर्ती की स्वीकृति दी है। इन पदों को भरने के लिए कर्मचारी चयन मंडल को प्रस्ताव भी पुलिस मुख्यालय भेज चुका है।

मंडल ने इस वर्ष के अंत तक इन पदों के लिए परिणाम जारी करने का लक्ष्य रखा है, लेकिन अभ्यर्थियों की संख्या एक लाख से अधिक रहती है, जिससे इस वर्ष चयन हो पाना मुश्किल है।

ऐसे में अगर भर्ती प्रक्रिया प्रारंभ होने के पहले बोर्ड का गठन हो जाता है तो इन पदों को भी इसके माध्यम से भरना आसान हो जाएगा। इसके अतिरिक्त सरकार सिंहस्थ को देखते हुए प्रति वर्ष आरक्षकों की भर्ती करने की तैयारी में है। बोर्ड बनने से भर्ती जल्दी हो सकेगी।