Spread the love

नई दिल्ली: सूरत में मेघालय के खिलाफ रणजी ट्रॉफी प्लेट लीग मैच के दौरान मणिपुर के लामबम अजय सिंह क्रिकेट के इतिहास में सबसे अजीबोगरीब तरह से आउट होने वाले खिलाड़ियों में से एक बन गए। उन्हें गेंद को दो बार मारने के लिए आउट दिया गया। अजय ने आर्यन बोरा की एक गेंद को रोका (डिफेंड किया)। जब गेंद वापस विकेट की तरफ आने लगी तो उन्होंने बल्ले से गेंद को रोक दिया।

ईएसपीएनक्रिकइंफो ने मैच में मौजूद लोगों से बात की, जिन्होंने बताया कि जब बल्लेबाज़ ने गेंद को दूसरी बार मारा, तो गेंद विकेटों की तरफ जा रही थी। यह नियम के तहत सही है (आउट नहीं होना चाहिए), लेकिन बल्लेबाज सहित किसी ने भी अंपायर के फैसले पर विरोध नहीं किया। एक मैदान अधिकारी ने बताया, ‘वह उसे पैड से दूर हटा सकता था, लेकिन उसने बल्ले से उसे रोकने का फैसला किया और अंपायर धर्मेश भारद्वाज ने तुरंत उसे ‘गेंद को दो बार मारने’ के लिए आउट दे दिया। मेघालय द्वारा अपील करते ही बल्लेबाज मैदान से बाहर चला गया।’

क्या कहता हैं नियम?

एमसीसी कानून की धारा 34.1.1 में कहा गया है कि यदि गेंद खेल में है और स्ट्राइकर के शरीर या बल्ले के किसी भाग से टकराती है और स्ट्राइकर जानबूझकर बल्ले से या शरीर के किसी भाग से (बल्ला न पकड़ने वाले हाथ के अलावा) दूसरी बार गेंद पर प्रहार करता है तो बल्लेबाज आउट हो जाता है। (किसी फील्डर के गेंद को छूने से पहले) सिवाय तब जब दूसरा प्रहार केवल अपने विकेट की रक्षा के लिए किया गया हो।

रणजी में पहले भी बल्लेबाज इस तरह हो चुके आउट

रणजी ट्रॉफी में इस तरह आउट आखिरी बार 2005-06 में हुआ था। जम्मू-कश्मीर के कप्तान ध्रुव महाजन को झारखंड के खिलाफ इसी तरह आउट दिया गया था। उससे पहले, केवल तीन अन्य रणजी क्रिकेटर्स के साथ ऐसा हुआ है। आंध्र के के बवन्ना (1963-64), जम्मू-कश्मीर के शाहिद परवेज़ (1986-87) और तमिलनाडु के आनंद जॉर्ज (1998-99)।