राजधानी भोपाल के बिट्टन मार्केट स्थित नाबार्ड क्षेत्रीय कार्यालय परिसर में आज से ‘राज्य स्तरीय आम महोत्सव 8.0’ का आगाज होने जा रहा है। यह आयोजन 14 जून तक चलेगा। इस दौरान मध्यप्रदेश के आदिवासी जिलों से लाए गए प्राकृतिक और रसायनमुक्त आमों की 15 से अधिक किस्में बिक्री के लिए उपलब्ध रहेंगी। इस साल महोत्सव में नूरजहां आम बिक्री के लिए रखा गया है। अब तक यह आम केवल प्रदर्शनी का हिस्सा होता था। आलीराजपुर जिले के कट्ठीवाड़ा क्षेत्र में केवल 10 पेड़ों पर उगने वाला यह आम 1.1 किलो से ज्यादा भारी होता है और इसकी कीमत 2,000 रुपए प्रति किलो है। इसकी खेती चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि हल्की हवा में भी इसका भारी फल गिर सकता है।
शुगर के मरीजों के लिए उपयुक्त ‘सुंदरजा’ आम रीवा जिले के गोविंदगढ़ क्षेत्र से लाया गया GI टैग प्राप्त सुंदरजा आम भी खास आकर्षण रहेगा। यह आम फाइबर-फ्री होता है और शुगर मरीजों के लिए उपयुक्त माना जाता है। इसकी मिठास और गुणवत्ता इसे विशेष बनाती है। नाबार्ड की चीफ जनरल मैनेजर सी. सरस्वी ने बताया कि वाड़ी परियोजनाओं से जुड़े आदिवासी परिवारों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाना, उनकी आजीविका को सशक्त करना और विपणन कौशल विकसित करना इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य है। आम महोत्सव “वाड़ी से थाली तक” की अवधारणा को साकार करता है।
ये किस्में भी रहेंगी उपलब्ध
मल्लिका: यह आम आमतौर पर भोपाल में कम ही मिलता है। इसकी ग्राफ्टिंग नीलम और दशहरी आम को मिलाकर की जाती है। इसमें दोनों का स्वाद होता है। यह एक तरह का खट्टा-मीठा आम है। आमतौर पर यह शहडोल क्षेत्र में ही मिलता है। क्योंकि वहां का वातावरण इस आम के लिए अच्छा है।
आम्रपाली: यह अपनी ही तरह का आम है। इसकी ग्राफ्टिंग नीलम और मल्लिका को मिलाकर की गई है। आम तौर पर यह आम उत्तरप्रदेश में फेमस है। क्योंकि शहडोल में यूपी से सटे इलाके में इसे लगाया जाता है। इसको खाने में आपको नीलम और मल्लिका का स्वाद एक साथ मिलेगा।
मालदा: मालदा आम की गुठली छोटी होती है। पल्प यानी गूदा दूसरी वैराइटी की तुलना में 20 % तक अधिक होता है। यह पूरी तरह से मीठा होता है। वहीं, दशहरी और केसर में भी टेस्ट थोड़ा अलग मिलेगा। क्योंकि इलाकों के अनुसार इनके टेस्ट में भी थोड़ा अंतर होता है।
अन्य किस्में: केसर, दशहरी, लंगड़ा, चौसा, तोतापरी, नारंगी, सिंदूरी, राजापुरी। इस न्यूज का सिर्फ फॉर्मेट चैंज करें