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इस्लामाबाद: भारत के साथ हुए हालिया संघर्ष में पाकिस्तान को तुर्की से जबरदस्त समर्थन मिला है। तुर्की ने ड्रोन और दूसरे हथियार देकर पाकिस्तान की मदद की, जिनका इस्तेमाल उसने भारत के खिलाफ किया। इससे पहले तुर्की का अंतरराष्ट्रीय मचों पर पाकिस्तान को समर्थन देखा जा रहा था। कश्मीर पर तुर्की की भाषा पाकिस्तान के सुर में सुर मिलाने वाली रही है। तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयब एर्दोगन खुद बीते दो-तीन वर्षों में बार-बार इस्लामाबाद आते रहे हैं। ऐसे में ये सवाल लगातार उठता है कि आखिर तुर्की आखिर क्यों इतना खुलकर पाकिस्तान के साथ खड़ा है। एक्सपर्ट का कहना है कि इसकी वजह एर्दोगन का खलीफा ऑटोमन साम्राज्‍य जैसा प्रभाव फिर से पैदा करने की कोशिश है।

भारत के साथ संघर्ष में पाकिस्तान को तुर्की के समर्थन की वजह पर बात करते हुए जहैक तनवीर ने डीडी न्यूज पर कहा कि इसकी वजह इस्लामी है। पत्रकार और विदेश मामलों के एक्सपर्ट तनवीर का कहना है कि एर्दोगन ऑटोमन ‘खिलाफत’ को फिर से शुरू करना चाहता है। तुर्की फिर से ऑटोमन साम्राज्य जैसे प्रभाव के लिए जो काम कर रहा है, उसमें पाकिस्तान को साथ लेना भी शामिल है। इस्लामाबाद पर उसकी नजर है क्योंकि पाकिस्तान परमाणु शक्ति संपन्न देश और मुस्लिम वर्ल्ड की बड़ी सैन्य शक्ति है। पाकिस्तान के वजूद में आने की वजह इस्लाम बना और तुर्की का इतिहास भी खिलाफत से जुड़ा है। वहीं भौगोलिक दृष्टि से भी पाकिस्तान बहुत अहमियत रखता है। ऐसे में तुर्की को अपनी इस महत्वाकांक्षा में पाकिस्तान का रोल काफी अहम लगता है।

पाकिस्तानी संस्कृति पर भी असर

तुर्की सिर्फ पाकिस्तान को सैन्य मदद ही नहीं दे रहा है। वह पाकिस्तान को अक्सर इस्लामी दुनिया का सहयोगी कहकर बात करता है। इतना ही नहीं पाकिस्तान की डॉल्फिन पुलिस यूनिट को ट्रेनिंग देकर और एर्तुगरुल जैसी सीरीज को पाकिस्तान में भेजकर भी तुर्की ने ओटोमन साम्राज्य को लेकर पाकिस्तानियों के बीच एक स्वीकृति बनाने की कोशिश की है।

तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयब एर्दोगन का ऑटोमन साम्राज्य के लिए लगाव रहा है। हागिया सोफिया को फिर से मस्जिद में बदलने जैसे फैसलों से उन्होंने इसे जाहिर भी किया है। एर्दोगन ऑटोमन साम्राज्य को तुर्की के इतिहास और राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक की तरह देखते हैं। वे ऑटोमन साम्राज्य के इतिहास का इस्तेमाल मुस्लिम विश्व के दूसरे देशों के साथ संबंध मजबूत करने के लिए कर रहे हैं।