गुवाहाटी: कहते हैं कि गलती वही होती है, जो एक बार की जाए। यदि आप एक ही गलती को बार-बार दोहराते हैं तो वह अपराध बन जाती है। भारतीय क्रिकेट टीम की बल्लेबाजी भी अब ‘अपराध’ कर रही है। कोलकाता टेस्ट में साउथ अफ्रीका के खिलाफ शर्मनाक हार के बाद गुवाहाटी टेस्ट में भी टीम इंडिया की बल्लेबाजी बिखर गई है। साउथ अफ्रीका ने पहली पारी में 489 रन का स्कोर खड़ा करके बड़ी चुनौती पैदा कर दी थी, लेकिन टीम इंडिया से विकेट पर टिककर खेलने की उम्मीद थी। इसके उलट टीम इंडिया के बल्लेबाज ऐसे आउट होते दिखाई दिए, मानो टेस्ट क्रिकेट में खेलना ही नहीं आता है। सबसे बड़े अपराधी रहे कप्तान ऋषभ पंत। पंत ने एक बार फिर इस तरह का गैरजिम्मेदाराना शॉट लगाकर अपना विकेट तोहफे में दिया मानो उन्हें 20 ओवर में साउथ अफ्रीका का स्कोर पार करने का टारगेट छूना था। टेस्ट क्रिकेट में खेलने के तरीके के विपरीत इस शॉट से पंत ने फिर अपने बल्लेबाजी स्टाइल पर सवाल खड़े करा लिए हैं। पंत के इस कारनामे को महान ऑलराउंडर कपिल देव के उस शॉट से जोड़ा जा रहा है, जिसके चलते कपिल देव को अपने पूरे टेस्ट करियर में पहली और इकलौती बार एक मैच के लिए टीम से बाहर बैठने की सजा दी गई थी।
टीम के 102 रन पर 4 विकेट, आप छक्के लगा रहे
टीम इंडिया ने अपने टॉप ऑर्डर के 4 विकेट महज 102 रन के स्कोर पर खो दिए थे। इसके बाद ऋषभ पंत और रवींद्र जडेजा की आखिरी मान्य जोड़ी विकेट पर थी, जिससे मैच बचाने की उम्मीद की जा सकती है। ऐसे में पंत को विकेट पर टिककर स्कोर को धीरे-धीरे बढ़ाने का टेस्ट क्रिकेट का बेसिक रूल फॉलो करना चाहिए थे। पंत ने इसके उलट पहले एक छक्का मारा। फिर एक और छक्का मारने के प्रयास में गेंद उनके बल्ले का बाहरी किनारा लेते हुए विकेटकीपर के ग्लव्स में समा गई। टीम के संकट की स्थिति में होने के बावजूद ऐसा खेल दिखाने को आप गैरजिम्मेदाराना नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे?
कपिल देव को ऐसे ही शॉट पर टीम हारने के बाद मिली थी सजा
टीम इंडिया को सबसे पहली बार अपनी कप्तानी में वनडे वर्ल्ड कप जिताने वाले कपिल देव ने देश के लिए 131 टेस्ट मैच खेले थे। उन्होंने 434 विकेट लेने के साथ ही बल्ले से भी 8 शतकों के साथ 5248 रन रिटायरमेंट से पहले अपने खाते में जोड़े थे। इतने लंबे टेस्ट करियर में कपिल देव ने टीम इंडिया के लिए केवल एक टेस्ट मैच मिस किया था। इस टेस्ट मैच से कपिल देव अपनी फिटनेस या किसी अन्य कारण से बाहर नहीं रहे थे, बल्कि उन्हें इससे पिछले टेस्ट मैच में गैरजिम्मेदाराना शॉट खेलने और उसके बाद टीम हार जाने के लिए सलेक्टर्स की तरफ से सजा दी गई थी।
इंग्लैंड के खिलाफ 1984-85 की सीरीज में हुई थी ये घटना
दरअसल 1984-85 में इंग्लैंड की टीम 5 टेस्ट मैच की सीरीज खेलने भारत के दौरे पर आई थी। उस सीरीज में सुनील गावस्कर भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान थे। दिल्ली में सीरीज का तीसरा टेस्ट मैच खेला गया था, जिसमें टीम इंडिया को इंग्लैंड ने 8 विकेट से हरा दिया था। मैच की पहली पारी में कपिल देव ने 97 गेंद में 60 रन की तेजतर्रार पारी खेली थी। टीम इंडिया ने 307 रन बनाए थे, जिसके जवाब में इंग्लैंड ने 418 रन का स्कोर खड़ा किया था। टीम इंडिया की दूसरी पारी अचानक बिखर गई थी और कपिल देव जब छठे नंबर पर बल्लेबाजी करने आए तो टीम के पास लीड घटाने के बाद करीब 100 रन की बढ़त थी।कपिल देव को ऐसे में कप्तान गावस्कर ने विकेट पर टिककर खेलने के लिए कहा था, लेकिन कपिल ने आते ही इंग्लिश स्पिनर पैट पोकॉक की गेंद पर छक्का मारा। फिर से ऐसे ही छक्का मारने की कोशिश में कपिल एलन लैंब को कैच थमा बैठे और 6 गेंद में 7 रन बनाकर आउट हो गए। तब कुल स्कोर 6 विकेट पर 214 रन था। इसके बाद टीम इंडिया 235 रन पर सिमट गई थी। इंग्लैंड ने 127 रन के टारगेट को आसानी से 2 विकेट खोकर हासिल कर लिया। कपिल देव को इस गैरजिम्मेदाराना शॉट के लिए कोलकाता में सीरीज के अगले टेस्ट मैच की टीम से बाहर कर दिया गया था।
अब पंत ने भी किया ठीक ऐसा ही काम
ऋषभ पंत ने भी गुवाहाटी टेस्ट में ठीक ऐसा ही गैरजिम्मेदाराना शॉट खेलकर अपनी टीम का संकट बढ़ा दिया है। टीम जिस संकट में फंसी हुई थी, उसमें पंत को विकेट पर टिककर खेलने की जरूरत थी। लेकिन पंत ने इसके उलट एक छ्क्का मारने के बाद फिर से बड़ा शॉट खेलने की कोशिश की, जिसका खामियाजा उन्हें आउट होकर गंवाना पड़ा है और टीम भी फॉलोऑन के मुहाने पर पहुंच गई है। ऐसे में सवाल यही उठ रहा है कि क्या पंत को भी कपिल देव की तरह एक मैच के लिए बाहर बैठाकर सबक नहीं सिखाया जाना चाहिए?



