बर्लिन: अमेरिका में ट्रंप प्रशासन की H-1B वीजा को लेकर जारी सख्ती का फायदा दूसरे देश उठाने की कोशिश लग गए हैं। अब यूरोप की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था माने जाने वाले जर्मनी ने भारतीय टैलेंट को लुभाना शुरू कर दिया है। भारत में जर्मन राजदूत डॉ. फिलिप एकरमैन ने स्किल्ड भारतीय वर्कर को खुला निमंत्रण दिया है और जर्मनी को अमेरिका के एक स्थिर और लाभदायक विकल्प के रूप में पेश किया है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक वीडियो पोस्ट करते हुए उन्होंने लिखा, सभी हाई-स्किल्ड भारतीयों से ये मेरी अपील है। जर्मनी अपनी स्थिर प्रवासन नीतियों और आईटी, प्रबंधन, विज्ञान और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में भारतीयों के लिए बेहतरीन रोजगार के अवसरों के साथ विशिष्ट स्थान रखता है।
भारतीय कमाई में जर्मन से आगे
वीडियो संदेश में राजदूत ने बताया कि किस तरह भारतीय जर्मनी में सबसे अधिक कमाई करने वालों में शामिल हैं। उन्होंने कहा, जर्मनी में काम करने वाला एक औसत भारतीय, औसत जर्मन से ज्यादा कमाता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया किया यह एक अच्छी बात है। एकरमैन ने आगे कहा कि ज्यादा वेतन का मतलब है कि भारतीय हमारे समाज और हमारे विकास में बड़ा योगदान दे रहे हैं। हम कड़ी मेहनत और बेहतरीन लोगों को बेहतरीन नौकरियां देने में यकीन करते हैं।
ट्रंप की सख्ती के बीच जर्मनी का ऑफर
जर्मन राजदूत की टिप्पणी ऐसे समय में आई है, जब अमेरिका ने विदेशी कामगारों पर सख्ती तेज करते हुए H-1B वीजा शुल्क को बढ़ाकर 100000 डॉलर प्रति आवेदन कर दिया है। पहले यह 5000 डॉलर के आसपास हुआ करता था। यह बदलाव भारतीय टेक एक्सपर्ट और आउटसोर्सिंग फर्मों के लिए झटके की तरह है, जो इस वीजा कार्यक्रम पर बहुत अधिक निर्भर हैं। ट्रंप प्रशासन का कहना है कि नए नियमों का उद्देश्य अमेरिकी कर्मचारियों को प्राथमिकता देना है।
जर्मन कार जैसी बताई इमिग्रेशन पॉलिसी
इन बदलावों के बीच जर्मन राजदूत ने जर्मनी की इमिग्रेशन नीति के बारे में बात की और जोर दिया कि जर्मनी में रातों-रात नियम नहीं बदलते हैं। उन्होंने जर्मनी की आव्रजन नीति की तुलना दुनिया भर में मशहूर जर्मन कारों से की। उन्होंने कहा, हमारी प्रवासन नीति कुछ हद तक जर्मन कार की तरह काम करती है। यह विश्वसनीय है, आधुनिक है और पूर्वानुमानित है। यह किसी टेढ़े-मेढ़े रास्ते के बजाय सीधे चलेगी।