Spread the love

दिग्‍गज इटालियन एक्ट्रेस क्लाउडिया कार्डिनले का निधन हो गया है। 100 से अध‍िक फिल्‍मों और शोज में काम कर चुकीं एक्‍ट्रेस ने मंगलवार को 87 साल की उम्र में आख‍िरी सांस ली। क्लाउडिया 1960 और 1970 के दशक की सबसे मशहूर यूरोपियन एक्‍ट्रेस रही हैं। उन्‍हें 1963 में फेडेरिको फेलिनी की फिल्म ‘8½’ से पॉपुलैरिटी मिली थी, जिसमें उनके साथ मार्सेलो मास्ट्रोयानी लीड रोल में थे।

‘एएफपी’ की रिपोर्ट के मुताबिक, क्‍लाउडिया का निधन फ्रांस के नेमूर शहर में हुआ, जहां उनके बच्चे भी साथ थे। उनके एजेंट लॉरेंट सैवरी ने न्‍यूज एजेंसी से मौत की पुष्‍ट‍ि की। क्लाउडिया ने अपना एक्‍ट‍िंग करियर 17 साल की उम्र में शुरू किया था, इससे पहले वह एक ब्यूटी कॉन्टेस्ट की विनर भी रही थीं।

ट्यूनिशिया में पैदा हुई थीं क्‍लाउडिया कार्डिनले

ट्यूनिशिया में पैदा हुईं क्‍लाउडिया कार्डिनले के माता-पिता सिसिलियन थे। साल 1963 में ‘8½’ की सफलता के बाद उन्होंने लुचीनो विस्कोंती की अवॉर्ड विनिंग फिल्म ‘द लेपर्ड’ में एंजेलिका सेदार का किरदार निभाया और 1968 में सर्जियो लियोने की मशहूरफिल्म ‘वन्स अपॉन अ टाइम इन दी वेस्ट’ में भी तारीफ बटोरी। इस फिल्‍म में उन्‍होंने एक एक्‍स-सेक्स वर्कर का रोल प्‍ले किया था।

फिल्मों से पहले स्कूल टीचर बनने वाली थीं क्‍लाउडिया

क्लाउडिया कार्डिनले ने साल 2002 में बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में लाइफटाइम अचीवमेंट अवॉर्ड लेते वक्त कहा था, ‘मैं फिल्में कर रही हूं, तो यह बस एक संयोग है। जब मुझसे पूछा गया था कि क्‍या मैं फिल्मों में आना चाहती हूं, तो मैंने इनकार किया था। मैं तो स्‍कूल टीचर बनने वाली थी।’

ब्रिजिट बार्डोट से होती थी क्लाउडिया कार्डिनले की तुलना

क्लाउडिया कार्डिनले की सफलता सोफिया लॉरेन की इंटरनेशनल पॉपुलैरिटी के बाद आई। उन्हें इटली की ओर से ब्रिजिट बार्डोट का जवाब माना जाने लगा। हालांकि उन्हें फ्रांसीसी एक्‍ट्रेस ब्रिजिट जितनी सफलता कभी नहीं मिली, फिर भी कार्डिनले को एक स्टार माना जाता था और उन्होंने यूरोप और हॉलीवुड के सबसे बड़े फिल्‍ममेकर्स के साथ काम किया।जहां तक ब्रिजिट बार्डोट की बात है, तो वह फ्रेंच एक्ट्रेस, मॉडल और सिंगर थीं। उन्‍हें 1950 और 1960 के दशक में आइकन माना जाता था। वह खास तौर पर अपनी खूबसूरती और स्टाइल के लिए जानी जाती थीं।

क्लाउडिया कार्डिनले ने कहा था- सिनेमा ने मुझे सबकुछ दिया

क्लाउडिया फिल्‍मों के बारे में अक्सर कहती थीं, ‘सिनेमा ने मुझे सबकुछ दिया। यह अद्भुत बात है कि मैं इतनी अलग-अलग जिंदगियां जी। मैंने पर्दे पर 150 से ज्यादा अलग-अलग महिलाओं की जिंदगी को जीने का काम किया।’