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अंकारा/तेल अवीव: इजरायल ने 9 सितंबर को कतर में हमास नेताओं पर हमला कर साफ कर दिया है कि अपने दुश्मनों को वो कहीं नहीं बख्शेगा। गाजा युद्ध शुरू होने के बाद से कतर वो छठा मुस्लिम देश है, जिसपर इजरायल ने हमले किए हैं। बाकी देशों में फिलीस्तीन, लेबनान, सीरिया, यमन, ईरान शामिल हैं। कुछ ही दिन पहले, इजरायली रक्षा बलों के जनरल स्टाफ प्रमुख इयाल जमीर ने विदेशों में छिपे हमास के नेताओं को निशाना बनाने की कसम खाई थी। जबकि दूसरी तरफ तुर्की के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि उसे डर की इजरायल का अगला हमला तुर्की पर हो सकता है। इयाल जमीर ने 31 अगस्त को कहा था कि "हमास का ज्यादातर नेतृत्व विदेश में है और हम उन तक भी पहुंचेंगे।"

हमास के ज्यादातर नेताओं का घर कतर रहा है और कतर ने सालों से हमास और इजरायल के बीच मध्यस्थ के तौर पर काम किया है। इसके अलावा भी कतर, अमेरिका का संधि सहयोगी है और अमेरिका ने उसे गैर-नाटो सहयोगी घोषित कर रखा है। मार्च 2022 में अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कतर को अमेरिका का आधिकारिक ‘गैर-नाटो’ देश घोषित किया था। कतर में अमेरिका का सैन्य बेस भी है, जहां सबसे ज्यादा 10 हजार अमेरिकी सैनिक तैनात हैं और कतर ने अमेरिका से अरबों डॉलर के फाइटर जेट, एयर डिफेंस सिस्टम समेत कई तरह के और हथियार खरीदे हैं। लेकिन फिर भी इजरायल ने कतर पर हमला किया।

हमास को राजनीतिक, आर्थिक मदद देता है तुर्की
कतर पर हमला करना इजरायल का दुस्साहसिक फैसला था और तुर्की पर हमला करना भी वैसा ही फैसला होगा। चूंकि हमास की राजनीतिक और फाइनेंशियल गतिविधियों का बड़ा हिस्सा कतर और तुर्की से जुड़ा है और तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन ने खुलकर हमास का समर्थन भी किया है, इसलिए अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या तुर्की अगला निशाना हो सकता है। तुर्की और इजरायल के रिश्ते एक वक्त काफी मजबूत हुआ करते थे। 1949 में तुर्की, इस्लामिक दुनिया का पहला देश था जिसने इजरायल को मान्यता दी और उसके बाद लंबे समय तक दोनों देशों में सुरक्षा और रक्षा सहयोग चलता रहा।
1990 और शुरुआती 2000 के दशक में तुर्की ने अपने फाइटर जेट और टैंकों को अपग्रेड करने के लिए इजरायल को अरबों डॉलर के कॉन्ट्रैक्ट दिए। लेकिन एर्दोगन के सत्ता में आने के बाद समीकरण बदल गए। 2009 में दावोस सम्मेलन में एर्दोगन ने गाजा युद्ध को लेकर इजरायल पर तीखे हमले किए और 2010 में "मावी मरमरा" जहाज घटना के बाद दोनों देशों के बीच गहरी दरार पड़ गई। पिछले एक दशक में तुर्की ने हमास को राजनीतिक समर्थन दिया, उसके नेताओं को शरण दी, यहां तक कि कई प्रमुख हमास नेताओं को तुर्की नागरिकता भी दी।
क्या तुर्की पर हमला कर सकता है इजरायल?
अक्टूबर 2023 में इजरायल पर हमास के हमले के बाद से तुर्की ने खुलकर हमास का साथ दिया है। राष्ट्रपति एर्दोगन ने इजरायल के विनाश की दुआ तक मांगी है। एर्दोगन ने हमास को स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाला संगठन बताया और उसके बाद दोनों ही देशों ने अपने अपने राजनयिकों को बुला लिए। तुर्की ने इजरायल के साथ कारोबार रोक दिया है और इंटरनेशनल कोर्ट में चलने वाले इजरायल के खिलाफ कार्रवाई में भी तुर्की शामिल हो गया है।

इसके अलावा तुर्की की खुफिया एजेंसी SADAT पर आरोप है कि उसने हमास को वित्तीय और सैन्य मदद दी है। दूसरी तरफ सीरिया में भी तुर्की और इजरायल आमने-सामने हैं। तुर्की-समर्थित विद्रोही समूह HTS के दमिश्क में सत्ता में आने के बाद इजरायल ने सीरिया में कई हवाई हमले किए हैं, जबकि तुर्की ने चेतावनी दे रखी है कि वह सीरिया को अपनी एयर डिफेंस छतरी में ला सकता है। यह स्थिति दोनों देशों को सीधे टकराव की ओर धकेल सकती है। इसीलिए सवाल ये है कि क्या वाकई इजरायल तुर्की पर हमला करेगा? तुर्की के पास कुछ तरह के डिफेंस सिस्टम हैं, लेकिन इजरायल जितना युद्ध लड़ने का तजुर्बा उसके पास नहीं है। सीधे टकराव में इजरायल को बढ़त मिल सकती है।