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नेपाल-चीन बॉर्डर पर ​​​​​​भोटेकोशी नदी में मंगलवार सुबह करीब 3 बजे अचानक बाढ़ आ गई। इसमें 18 लोग लापता हैं, जिसमें 12 नेपाली और 6 चीनी नागरिक हैं। 12 नेपालियों में 3 पुलिसकर्मी, 9 नागरिक हैं।

सर्च और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया गया है। घटना चीनी सीमा पर नेपाल के ​​​​​​रसुवा जिले में रसुवागढ़ी बॉर्डर पॉइंट की है। बाढ़ में नेपाल को चीन से जोड़ने वाला मेन पुल ‘मिटेरी ब्रिज’ ढह गया।

मिटेरी ब्रिज से चीन-नेपाल के बीच रोजाना लाखों रुपए का व्यापार होता था। रसुवा में कस्टम्स ऑफिस का यार्ड भी क्षतिग्रस्त हो गया। कस्टम यार्ड में खड़े कई कार्गो कंटेनर भी बह गए।

सभी कंटेनर सामान से भरे हुए थे। कस्टम यार्ड के अंदर फंसे कुछ लोगों को बचा लिया गया है, लेकिन सभी तरफ बाढ़ के पानी के कारण चल रहे ऑपरेशन में दिक्कत आ रही है।

पुल बहने से चीन-नेपाल के बीच व्यापार रुका ​​​​​​

भोटेकोशी नदी में बाढ़ से नेपाल को भारी आर्थिक नुकसान होने की आशंका है। पुल बहने से इस रूट से चीन और नेपाल के बीच होने वाला व्यापार रुक गया है।

नेपाल को अब सामान मंगवाने के लिए भारत पर निर्भर होना पड़ेगा। सामान को चीन से भारत और फिर उसे जमीन के रास्ते नेपाल मंगाया जा सकता है।

नेपाल के सशस्त्र पुलिस बल (APF) ने बताया कि भोटेकोशी नदी के बढ़ते पानी ने तिमुरे में एक EV चार्जिंग स्टेशन से आठ इलेक्ट्रिक वाहनों को भी बहा दिया।

पासंग ल्हामू हाईवे पर भी कई जगह लैंडस्लाइड हुआ। सड़क का बड़ा हिस्सा नदी के साथ बह गया है। जिससे ​परिवहन ठप हो गया है। बाढ़ में कई घर और चीन से मंगाए पांच इलेक्ट्रिक वाहन भी बह गए।

नेपाल के कई हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स को नुकसान

​​​​​​​रसुवा के रासुवागढ़ी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स को बुरी तरह नुकसान पहुंचा है, जिसके कारण 200 मेगावाट तक बिजली उत्पादन पूरी तरह रुक गया है।

चिलीम हाइड्रोपावर कंपनी के CEO बाबूराजा महाराजन ने बताया कि बाढ़ में भोटे कोशी और त्रिशूली कॉरिडोर प्रोजेक्ट्स भी बुरी तरह प्रभावित हुई हैं।

आने वाले दिनों में यहां बिजली उत्पादन फिर से शुरू होने की कोई संभावना नहीं है। रसुवागढ़ी में भी परिचालन फिर से शुरू करना संभव नहीं है।

पिछले साल सितंबर में बाढ़ से 200 से ज्यादा लोगों की मौत हुई

सितंबर, 2024 में नेपाल में भारी बारिश के कारण अचानक आई बाढ़ और लैंडस्लाइड के कारण 35 बच्चों सहित 215 से अधिक लोग मारे गए थे। दर्जनों लोग लापता हो गए।

अधिकांश मौतें राजधानी काठमांडू में हुई, जहां 27 सितंबर से लगातार 3 दिन तक हुई बारिश ने 50 सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया था। इसमें सैकड़ों घर, स्कूल और अस्पताल क्षतिग्रस्त हो गए।

नेपाल के 77 में से 44 जिले प्रभावित हुए थे। कई पुल और सड़कें बह गईं। सुरक्षा बलों और स्वयंसेवकों ने लगभग 4,500 लोगों को बचाया था।