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राजनांदगांव। जिले में वर्तमान खरीफ फसल की बुआई निरंतर जारी है। इस वर्ष मौसम विभाग के पूर्वानुमान के अनुरूप मानसून अपने तय समय से पहले दस्तक दे चुका था। इसी कारण कृषकों में इस वर्ष अच्छी खेती की आस जगी है। कृषि विभाग द्वारा भी इस वर्ष बेहतर मानसून को देखते हुए खरीफ फसल हेतु 1 लाख 84 हजार 440 हेक्टेयर का बुआई लक्ष्य निर्धारित किया गया है। जो गत वर्ष में 1 लाख 83 हजार 689 से 7.50 हेक्टेयर अधिक है। साथ ही कृषि फसल क्षेत्राच्छादन में वृद्धि हेतु आवश्यक आदान सामग्री जैसे उन्नत बीज वितरण हेतु 14803 का लक्ष्य निर्धारित कर 13047 क्विंटल बीज भंडारण कराया गया है। जिसमें से 12268 क्विंटल बीज का उठाव कृषकों द्वारा किया जा चुका है। जो भंडारण की तुलना में 94 प्रतिशत है। विगत दो दिनों में जिले में अच्छी वर्षा हो रही है, जिससे जिले में अब 212.7 एमएम वर्षा हो चुकी है, जो इसी अवधि में होने वाली वर्षा का 95.40 प्रतिशत है।

जिले में इस वर्ष सोयाबीन फसल हेतु 3160 हेक्टेयर रकबा का लक्ष्य तय किया गया है। जिसके विरूद्ध अब तक 1158 हेक्टेयर क्षेत्र में सोयाबीन की खेती संपन्न हो चुका है। सोयाबीन उत्पादक कृषकों को वर्तमान खरीफ अनुशंशित उर्वकों की वैज्ञानिक अनुशंसानुसार एनपीके तथा सल्फर के 25 : 60 : 40 : 20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर पोषक तत्व आपूर्ति की सिफारिश की जा रही है, जिसकी पूर्ति हेतु एक यूरिया 56 किलोग्राम के साथ 375 से 400 किलोग्राम सिंगल सुपर फास्फेट व 67 किलोग्राम म्यूरोट ऑफ पोटाश पोटास डीएपी 125 ग्राम के साथ 68 किलोग्राम म्यूरोट ऑफ पोटाश तथा 25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर बेनटोनेस सल्फर का उपयोग किया जा सकता है। आवश्यकतानुसार 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट तथा 50 किलोग्राम आयरन सल्फेट प्रति हेक्टेयर का उपयोग करने से सोयाबीन फसलों के जड़ विकास व वनस्पति विकास में वृद्धि होती है। सोयाबीन की प्रारंभिक अवस्था में बोनी करते समय खरपतवार एक बड़ी समस्या रहती है। जिसके लिए बोनी के तुरंत बाद डाईक्लोसुलम प्लस पेंडीमेथालीन (22.5 + 875 सक्रिय तत्व) अथवा क्लोमोझोन 50 ईसी अथवा सल्फेन्ट्राझोन 39.6 एससी पाईरोक्सा सल्फोन 85 डब्ल्यूजी खरपतवार नाशक का उपयोग नेमसेक स्पेयर में प्रति हेक्टेयर 450 लीटर पानी तथा पावर स्पेयर में 120 लीटर पानी प्रति हेक्टेयर का उपयोग करना चाहिए। बोनी के 10 से 12 दिन बाद क्लोरिनम्यूरान इथाईल 25 डब्ल्यूपी के साथ सर्फेक्टेंन्ट का उपयोग करने से सोयाबीन में उगने वाले हानिकारक खरपतवारों को नियंत्रित किया जा सकता है।