Spread the love

वॉशिंगटन: H-1B वीजा पर 100000 डॉलर का भारी भरकम शुल्क लगाने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस वीजा कार्यक्रम पर एक और झटका देने की तैयारी कर रहे हैं। ट्रंप प्रशासन अब इसके लिए पात्रता पर अतिरिक्त आव्रजन प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहा है। अमेरिका के गृह मंत्रालय (DHS) ने एच-1बी वीजा श्रेणी को संशोधित करने के लिए अपने एजेंडे में एक नियम परिवर्तन का प्रस्ताव रखा है। संघीय रजिस्टर में औपचारिक रूप से सूचीबद्ध प्रस्तावों में कई तकनीकी पहलू शामिल हैं। इसमें सीमा छूट के लिए पात्रता में संशोधन, कार्यक्रम की आवश्यकताओं का उल्लंघन करने वाले नियोक्ताओं की अधिक जांच जैसे नियम शामिल हैं।

इन बदलावों का असर अमेरिका में काम करने की इच्छा रखने वाले हजारों भारतीय पेशेवरों और छात्रों पर पड़ने की उम्मीद है। हालांकि, अभी यह साफ नहीं है कि क्या अमेरिकी गृह मंत्रालय उन नियोक्ताओं और पदों को सीमित करने की योजना बना रहा है, जिन्हें वार्षिक सीमा से छूट दी गई है। अगर ट्रंप प्रशासन छूट की सीमा में बदलाव करता है तो यह कदम गैर-लाभकारी रिसर्च संगठनों, विश्वविद्यालयों और स्वास्थ्य सेवा संस्थानों पर असर डाल सकता है, जो वर्तमान में छूट का लाभ उठा रहे हैं।

दिसम्बर में बदलावों का हो सकता है ऐलान

प्रस्ताव के अनुसार, इन बदलावों का उद्देश्य एच-1बी गैर-आप्रवासी कार्यक्रम में सुधार लाना और अमेरिकी कर्मचारियों के वेतन और कार्य स्थितियों की बेहतर सुरक्षा करना है। नए नियमों को इसी साल दिसम्बर में जारी किया जा सकता है। इसके पहले रिपोर्टों में कहा गया था कि ट्रंप प्रशासन पारंपरिक एच-1बी लॉटरी की जगह वेतन-आधारित चयन प्रणाली लाने की योजना बना रहा है। ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों ने लॉटरी सिस्टम को गलत बताया गया है

क्या है एच-1बी वीजा?

एच-1बी एक अस्थायी वीजा श्रेणी है, जो भारतीयों समेत हाई-स्किल विदेशी नागरिकों को अमेरिका में काम करने का अवसर देती है। यह आमतौर पर ग्रीन कार्ड (स्थायी निवास) हासिल करने से पहले अमेरिका में लंबे समय तक काम करने का एकमात्र तरीका है। एच-1बी वीजा का उद्देश्य अमेरिकी कंपनियों को ऐसे कौशल वाले लोगों को लाने की अनुमति देना है, जो अमेरिका में मिलने मुश्किल हैं।