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बिलासपुर । छत्तीसगढ़ के बिलासपुर जिले में भारतमाला परियोजना से जुड़े फर्जीवाड़े का मामला अब और गहरा गया है। इस घोटाले में निलंबित और नामजद पटवारी सुरेश मिश्रा ने शुक्रवार को आत्महत्या कर ली। उन्होंने सकरी थाना क्षेत्र के ग्राम जोकी में अपनी बहन के फार्महाउस में फांसी लगाकर जान दे दी।

सुसाइड नोट में लिखा- ‘मैं निर्दोष हूं’
मौके से पुलिस को एक सुसाइड नोट और पत्र बरामद हुआ है, जिसमें सुरेश मिश्रा ने खुद को बेगुनाह बताया है। उन्होंने लिखा है, "मैं निर्दोष हूं" और पूरे मामले की जिम्मेदारी राजस्व निरीक्षक (RI), कोटवार और गांव के एक अन्य व्यक्ति पर डालते हुए अपनी बहाली के लिए कलेक्टर से निवेदन भी किया था।

मिश्रा का चार दिन बाद रिटायरमेंट था। मगर दो दिन पहले भारतमाला प्रोजेक्ट में भूमि अधिग्रहण में गड़बड़ी को लेकर उन पर एफआईआर दर्ज हुई थी। इसी वजह से उन पर मानसिक दबाव बढ़ा हुआ था। पुलिस को आशंका है कि इसी तनाव में उन्होंने यह कदम उठाया।

भारतमाला प्रोजेक्ट में फर्जीवाड़े की पृष्ठभूमि
राष्ट्रीय राज्य मार्ग 130-ए पर बिलासपुर से उरगा के बीच ग्राम ढेंका में भूमि अधिग्रहण, नामांतरण और बंटवारे में भारी अनियमितता सामने आई थी। इस गड़बड़ी के चलते सरकार को मुआवजे के वितरण में बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ और परियोजना की रफ्तार भी थम गई।

शिकायत के बाद जिला स्तरीय जांच कमेटी ने तहकीकात की, जिसमें तत्कालीन तहसीलदार डीके उइके और पटवारी सुरेश मिश्रा की भूमिका सामने आई। 24 जून को मिश्रा को निलंबित कर दिया गया और अगले ही दिन एफआईआर दर्ज की गई।

अब आगे क्या?
पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। अधिकारियों का कहना है कि सुसाइड नोट की सत्यता की जांच की जाएगी और यह भी देखा जाएगा कि कहीं मिश्रा को आत्महत्या के लिए उकसाया तो नहीं गया। मामले में शामिल अन्य आरोपियों पर भी शिकंजा कस सकता है।

यह घटना भारतमाला परियोजना में गहराते भ्रष्टाचार और सिस्टम में जवाबदेही की कमी पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है।