मास्को: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को वार्षिक शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए भारत के दौरे पर आ रहे हैं। यूक्रेन हमले के बाद ऐसा पहली बार है जब पुतिन भारत के दौरे पर आ रहे हैं। पुतिन आखिरी बार दिसंबर 2021 में दिल्ली आए थे। विशेषज्ञों का कहना है कि इस दौरे पर पुतिन भारत के साथ मजदूरों को लेकर इजरायल की तरह से ही बड़ी डील कर सकते हैं। दोनों देश सामाजिक और मजदूरों से जुड़े मुद्दे पर सहयोग करेंगे। रूस की योजना है कि 10 लाख विदेशी मजदूरों की भर्ती की जाए। इसमें भारत भी शामिल है। रूस लेबर मिनिस्ट्री का मानना है कि साल 2030 तक देश में मजदूरों की यह कमी 31 लाख तक पहुंच सकती है।
विश्लेषकों का कहना है कि रूसी के हजारों युवा यूक्रेन युद्ध में मारे जा चुके हैं और देश के फिर से निर्माण के लिए अब लाखों लोगों की जरूरत है। वह भी तब जब रूस में आबादी कम हो रही है और लोग बच्चे कम पैदा कर रहे हैं। रूसी राष्ट्रपति ने देश में बच्चे पैदा करने पर भारी आर्थिक सहायता मुहैया कराने का ऐलान किया है। रूस में अब तक मध्य एशिया के देशों से लाखों रूसी बोलने वाले लोग काम करने जाते रहे हैं लेकिन इससे मास्को को सुरक्षा को लेकर खतरा महसूस होता रहा है। यही वजह है कि रूस अब 7 लाख से ज्यादा मध्य एशिया के विदेशी मजदूरों से मुक्ति पाना चाहता है। इस प्रक्रिया की शुरुआत तब तेज हुई जब मास्को में मार्च 2024 में आतंकी हमला हुआ।



