रायपुर । सरगुजा जिले के ऐतिहासिक रामगढ़ की पहचान अनेक रूपों में की जाती है। राम वनगमन पर्यटन परिपथ में शामिल रामगढ़ में विश्व की प्राचीन नाट्यशाला है। यहां रामगढ़ की पहाड़ियां महाकवि कालिदास के खंडकाव्य मेघदूत की प्रेरणा हैं। इस प्राचीन स्थल के महत्व को उल्लेखित करने और सुरम्यता का आनंद लेने यहां रामगढ़ महोत्सव मनाया जाता हैं। आषाढ़स्य प्रथमदिवसे यानी आषाढ़ माह के प्रथम दिवस प्रतिवर्ष रामगढ़ महोत्सव मनाया जाता है। इसी कड़ी में 4 जून रविवार को दो दिवसीय रामगढ़ महोत्सव का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम में मुख्‍य अत‍िथि के रूप में खाद्य एवं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत मौजूद रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता छत्तीसगढ़ मेडिकल सर्विस कार्पोरेशन अध्यक्ष और लुण्ड्रा विधायक डॉ प्रीतम राम द्वारा की गई।

इस अवसर पर मंत्री अमरजीत भगत ने कहा कि भगवान राम के वनवास के दौरान उनके  चरण हमारे छत्तीसगढ़ में पड़े। हमारा सौभाग्य है कि यह भगवान राम का ननिहाल भी है। माता कौशल्या का मायका है। चंदखुरी में उनका मंदिर बनाया गया है। मैं यहां की भूमि को प्रणाम करता हूं। रामगढ़ का महत्व धार्मिक ही नहीं, विश्व की महत्वपूर्ण धरोहर के रूप में भी है। यहां सीताबेंगरा और जोगीमारा की गुफाओं के साथ विश्व की प्राचीन नाट्यशाला भी है। यह महाकवि कालीदास की अद्भुत रचना मेघदूत की यह रचना स्थली है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का धन्यवाद करते हुए उन्होंने कहा कि शासन द्वारा पुरानी धरोहर को संरक्षित कर स्थापित करने का काम किया जा रहा है। राम वनगमन पर्यटन पथ के विकसित होने के बाद पूरी दुनिया छत्तीसगढ़ को देखने आएगी। उन्होंने रामायण के प्रसंगों का उल्लेख किया। नदी पार करते हुए भगवान राम से केंवट राजा की भेंट और भगवान राम का छोटे भाई भरत के प्रति प्रेम का उल्लेख किया। भगवान राम ने वनवास के दौरान जिस मार्ग से छत्तीसगढ़ में प्रवेश किया और समय बिताया, वह सीतामढ़ी हरचौका से शुरू होता है और सुकमा तक जाता है। भगवान राम के कदम जहां जहां पड़े, उसे पर्यटन परिपथ के रूप में विकसित किया जा रहा है।