देशभर के गरीबों के लिए सरकार उनकी सुविधा के लिए नए नए नियम लेकर आ रही है. राशन कार्ड से खाद्यान्न लेने वालों के लिए खुशखबरी है. मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी वन नेशन वन राशन कार्ड योजना पूरे देश में लागू हो गई जिसके बाद सभी दुकानों पर ऑनलाइन इलेक्ट्रानिक प्वाइंट आफ सेल यानी पीओएस डिवाइस को जरूरी कर दिया गया है. सबसे खास बात कि सरकार के इस फैसले का अब असर भी दिख रहा है.

अब राशन तौल में नहीं होगी गड़बड़ी!

दरअसल, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत लाभार्थियों को पूरी मात्रा में खाद्यान्न मिल सकें इसके लिए केंद्र सरकार ने राशन की दुकानों पर इलेक्ट्रॉनिक पॉइंट ऑफ सेल डिवाइस को इलेक्ट्रॉनिक तराजू के साथ जोड़े जाने के लिए खाद्य सुरक्षा कानून नियमों में संशोधन कर दिया है.

नया नियम देश भर में लागू

अब देश में उचित दर वाली सभी दुकानों को आनलाइन इलेक्ट्रानिक प्वाइंट आफ सेल यानी पीओएस डिवाइस से जोड़ दिया गया है. यानी अब राशन की तौल में गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं बची है. पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के लाभार्थी को किसी भी सूरत में कम राशन न मिले, इसके लिए राशन डीलरों को हाइब्रिड माडल की प्वाइंट आफ सेल मशीनें दी गई हैं. ये मशीनें आनलाइन मोड के साथ ही नेटवर्क न रहने पर ऑफलाइन भी काम करेंगी. अब लाभार्थी अपने डिजिटल राशन कार्ड के इस्तेमाल से देश में किसी भी उचित दर की दुकान से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सामान खरीद सकेंगे.

क्या है नियम?

सरकार का कहना है कि यह संशोधन एनएफएसए के तहत टारगेट पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम के संचालन की पारदर्शिता में सुधार के माध्यम से अधिनियम की धारा 12 के तहत खाद्यान्न तौल में सुधार प्रक्रिया को और आगे बढ़ाने का एक प्रयास है. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम के तहत सरकार देश के करीब 80 करोड़ लोगों को प्रति व्यक्ति, प्रति माह पांच किलो गेहूं और चावल (खाद्यान्न) क्रमश: 2-3 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दर पर दे रही है.

क्या हुआ बदलाव?

सरकार ने कहा कि ईपीओएस डिवाइस को उचित तरीके से चलाने वाले राज्यों को प्रोत्साहित करने और 17.00 रुपये प्रति क्विंटल के अतिरिक्त मुनाफे से बचत को बढ़ावा देने के लिए खाद्य सुरक्षा (राज्य सरकार की सहायता नियमावली) 2015 के उप-नियम (2) के नियम 7 में संशोधन किया गया है.

इसके तहत पॉइंट ऑफ सेल डिवाइस की खरीद, संचालन और रखरखाव की लागत के लिए प्रदान किए गए अतिरिक्त मार्जिन से अगर किसी भी राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश को यदि बचत होती है तो इसे इलेक्ट्रॉनिक तौल तराजू की खरीद, संचालन एवं रखरखाव के साथ दोनों के एकीकरण के लिए उपयोग में लाया जा रहा है.