नई दिल्ली । मूनलाइटिंग पर मचे घमासान में आरपीजी ग्रुप के चेयरमैन हर्ष गोयनका भी शा‎मिल हो गए हैं। उन्होंने विप्रो और स्विगी की तुलना करने वाले लोगों को कहा है ‎कि आप स्विगी और विप्रो की तुलना नहीं कर सकते हैं। विप्रो के क्लाइंट्स फॉर्च्यून 500 कंपनियां हैं जिनके डेटा की सुरक्षा से समझौता पाप होगा। अगर इन कंपनियों को थोड़ा भी संदेह हुआ कि उनके डेटा की सुरक्षा खतरे में है तो इसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर हैंडल पर यह बात लिखी। गौरतलब है कि हाल में विप्रो ने मूनलाइटिंग के आरोप में 300 कर्मचारियों को कंपनी से निकाल दिया था। इससे पहले विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने मूनलाइटिंग को चीटिंग कहा था। केवल विप्रो ही नहीं इन्फोसिस और टीसीएस ने भी मूनलाइटिंग के खिलाफ अपना मत दिया है। इन्फोसिस ने कर्मचारियों को ई-मेल भेजकर यहां तक कहा है कि इस पद्धति को बिलकुल स्वीकार नहीं किया जा सकता है और कोई भी कर्मचारी मूनलाइटिंग करता है तो उसे कंपनी से निकाल दिया जाएगा। हालांकि स्विगी ने अपने कर्मचारियों को मूनलाइटिंग की अनुमति दे दी थी।
आईटी व स्किल डेवलपमेंट मिनिस्टर राजीव चंद्रशेखर ने मूनलाइटिंग के पक्ष में बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि आज का युवा अपने कौशल को लेकर आत्मविश्वास से भरपूर है, जो इसे अपने लाभ के लिए इस्तेमाल करना चाहता है। कंपनियों को इनके सपनों को बांधने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। कंपनियों का युवाओं को इस तरह रोकने का प्रयास विफल होगा वह भी तब जब इनमें से अधिकांश खुद के स्टार्टअप के लिए काम कर रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि एक समय ऐसा भी आएगा जब लोग अलग-अलग प्रोजेक्ट्स के हिसाब से अपने समय का बंटवारा करेंगे जैसे वकील या सलाहकार करते हैं। जब कोई कर्मचारी अपनी मुख्य जॉब के अलावा किसी और नौकरी को भी अपना समय देता है तो इसे मूनलाइटिंग कहा जाता है। यानी एक नौकरी दिन के उजाले में और दूसरी रात की रोशनी में. यहीं से मूनलाइटिंग शब्द का जन्म हुआ है।